रैंडी ऑर्टन की करियर-बचाने वाली जंग: जानिए कैसे एक गंभीर चोट ने सब कुछ बदल दिया।

सोचिए, आपको बताया जाए कि आपकी पूरी जिंदगी की मेहनत – एक दिन में खत्म हो सकती है। WWE के दिग्गज रैंडी ऑर्टन के साथ कुछ ऐसा ही हुआ। एक खतरनाक रीढ़ की हड्डी की चोट ने उनका करियर अधर में लटका दिया।

धीरे-धीरे उभरती एक गंभीर चोट

मई 2022 में ऑर्टन ने स्पाइनल फ्यूजन सर्जरी करवाई, जो किसी भी रेसलर के लिए आखिरी स्टेज मानी जाती है। डॉक्टरों ने उन्हें सचेत किया – रिकवरी मुश्किल होगी, चोट दोबारा आ सकती है, और शायद रेसलिंग अब मुमकिन नहीं।

ये चोट सिर्फ एक झटका नहीं था, बल्कि उनके रेसलिंग करियर को खत्म कर देने वाला मोड़ था।

आम ज़िंदगी बन गई थी चुनौती

ऑर्टन के लिए रोज़मर्रा के काम भी पहाड़ बन गए:

  • सीढ़ियां चढ़ना मुश्किल हो गया था।

  • सोना तक दर्दभरा था।

  • उड़ान भरते वक्त उनके पैरों में सुन्नपन आ जाता था।

सर्जरी से पहले के छह महीनों में उन्होंने मान लिया था कि शायद रेसलिंग अब नहीं होगी।

शारीरिक और मानसिक वापसी की जंग

ऑर्टन ने सिर्फ सर्जरी नहीं करवाई, उन्होंने पूरा लाइफस्टाइल बदल दिया:

  • उन्होंने डाइट बदलकर 40–50 पाउंड मसल गेन किया।

  • एक स्पेशल ट्रेनर के साथ सेफ स्ट्रेंथ ट्रेनिंग शुरू की।

  • मानसिक रूप से वो टूट चुके थे—डिप्रेशन, चिंता और नींद की कमी ने उन्हें घेर लिया था। उन्होंने कुछ समय के लिए एंटीडिप्रेसेंट दवाइयाँ भी लीं।

Survivor Series 2023 में धमाकेदार वापसी

18 महीने बाद, ऑर्टन ने Survivor Series 2023 में WWE यूनिवर्स को चौंका दिया। वो पहले से ज़्यादा फिट, मज़बूत और कॉन्फिडेंट दिखे।

उनका फिनिशिंग मूव बना सबसे बड़ा दुश्मन

ऑर्टन ने खुलासा किया कि उनका मशहूर RKO मूव ही उनकी पीठ की चोट की सबसे बड़ी वजह था। लगातार सालों तक उसी स्टाइल में पीठ के बल गिरना उनके शरीर पर भारी पड़ा।

जो मूव फैंस को सबसे ज्यादा खुशी देता था, वही उनकी रीढ़ की सबसे बड़ी दुश्मन बन गई।

मानसिक सेहत की खुलकर बात

ऑर्टन ने बिना हिचक स्वीकार किया कि उन्होंने इस दौरान गहरे डिप्रेशन, घबराहट और मानसिक तनाव का सामना किया। मानसिक स्वास्थ्य पर उनकी खुली बात रेसलिंग वर्ल्ड के लिए मिसाल बनी।

WWE के आने वाले स्टार्स को क्या सीख मिलती है?

ऑर्टन की कहानी हमें ये सिखाती है:

  1. रिकवरी में गंभीरता जरूरी है – सर्जरी, डाइट, ट्रेनिंग, और मेंटल हेल्थ – सबका बैलेंस जरूरी है।

  2. कमज़ोरी बताना कमजोरी नहीं – मानसिक हेल्थ पर बात करना ताकत की निशानी है।

  3. स्मार्ट मूव चुनना ज़रूरी है – अगर कोई मूव लंबे वक्त में नुकसान दे रहा है, तो उसे पहचानना ज़रूरी है।

निष्कर्ष

रैंडी ऑर्टन की ये जर्नी सिर्फ एक चोट से लड़ने की नहीं, बल्कि खुद को फिर से खड़ा करने की कहानी है। उन्होंने शरीर, दिमाग और आत्मा – तीनों स्तरों पर जंग लड़ी और जीते। उनकी वापसी बताती है कि जब आप हार मानने को तैयार नहीं होते, तो कुछ भी असंभव नहीं।